वो डरावने सपने...( भाग - 7 ) ्
श्यामली को ले जाते हुए वो लोग नगर के बाहर पहुंच गये | तब तक रात हो गई थी और नगर में सुरक्षा सैनिकों के अलावा और कोई नहीं दिख रहा था | वो लोग श्यामली को घोड़े से उतार कर एक सैनिक वेशभूषा पहने व्यक्ति ने उसे अपने कंधे पर रख कर नगर के बाहर ही गुप्त मार्ग से होते हुए उसे ले जा रहे थे | थोड़ी देर चलने पर वो एक भव्य कमरे में प्रवेश करता है |सैनिक वेशभूषा पहने कुल चार लोग और एक कीमती कपड़े पहना व्यक्ति मंत्री भैरव है और वही उन सबको आदेश दे रहा है |
सैनिक वेशभूषा पहने व्यक्ति ने श्यामली को उस भव्य कमरे के कोने में रख कर , एक जगह खड़ा हो गया | तभी राजकुमार ने कमरे में प्रवेश किया | उसके प्रवेश करते ही सब झुक जाते हैं सैनिक वेशभूषा वाले लोग चुपचाप बाहर आ जाते हैं | लेकिन कीमती कपड़े पहने मंत्री भैरव वहीं रूकते हैं|
राजकुमार श्यामली को गौर से देखते हुए !!! वाह मंत्री जी इतनी सुदंर लड़की आपको कहां से मिल गयी | हम तो इस लड़की पर मोहित हो गये | मंत्री जी हम आपके कार्य से बहुत खुश हैं और इसीलिए बहुत जल्द ही हम आपको महामंत्री बनाने वाले हैं !
मंत्री भैरव - परंतु राजकुमार ! महाराज के जीवित रहते आप महाराज और मैं महामंत्री कैसे बनेगें ?
हा... हा... हा...किसी विक्षिप्त की तरह हंसते हुए राजकुमार कहता है - महत्वपूर्ण प्रश्न पूछा है आपने मंत्री जी |
अचानक शांत और खुसफुसा के मंत्री के कान में कहते हैं आज से चार दिन बाद नवरात्रि है और महाराज की जीवन की भी समाप्ति रात्रि होगी.... हा हा हा ....
अब आप जाइये मंत्री जी ! हमे इस सुंदरी के साथ कुछ....ना..ना ही..ही.. ही..कुछ नहीं बहुत सारा वक्त बिताना हैं |
इधर जब राजकुमार और मंत्री भैरव आपस में बात कर रहे होते हैं तभी बाहर गये सैनिकों पर आदिवासी युवकों ने हमला कर बंदी बना लिया था |
जब मंत्री कमरे से बाहर आये तो उन्हें कोई भी सैनिक नहीं दिखा वो कुछ सोच ही रहे थे कि किसी ने उनके सर में प्रहार किया | प्रहार से मंत्री भैरव मूर्छित हो गये | और उन आदिवासी युवकों ने उसे भी बंदी बना लिया |
बेहोशी का नाटक करते हुए श्यामली ने राजकुमार और मंत्री की बातें सुन ली थी |
जब एक पुत्र ही पिता कि हत्या करने की साजिश कर रहा है और ना जाने कितनी ही लड़कियों का हत्यारा है | उसको मारना पाप नहीं कहलायेगा |श्यामली मन में सोचते हुए !
जैसे ही राजकुमार श्यामली की ओर बढ़ा , श्यामली ने फुर्ती से उठ कर राजकुमार का हाथ पकड़ लिया और हाथ मोड़ कर गले कि ऐसी जगह पर वार किया की राजकुमार बेहोश हो गया | वहीं पास में ही रखी रस्सी से राजकुमार के हाथों को पीछे के तरफ बांध कर और दोनों पैरो में रस्सी फंसा कर खीचते हुए बाहर ले आई |
जैसे ही श्यामली बाहर आई | कुछ दूर में खड़े आदिवासी युवकों में से एक आकर्षक युवक श्यामली के पास आकर कहा - तुम ठीक तो हो ना श्यामा ! मुझे तुम्हारी फिक्र हो रही थी |
श्यामली - मैं ठीक हूं शंकर | अब चलों यहां से और इन सबको जंगल में ले चलो ! वही सबका हिसाब होगा |
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जंगल पहुंचने पर राजकुमार , मंत्री भैरव और बाकि सैनिकों को एक कतार से पेड़ो में बांध कर रखा गया है |
श्यामली - शंकर तुम राजकुमार को छोड़ कर बाकि सब को ले जाओ और इन्हें तड़पा - तड़पाकर मारना जब इनकी सांसे रूक जाये तो इनके शव को नगर मे रख आना |
शंकर - और राजकुमार का क्या ? इसे सजा मैं दूंगी ! श्यामली ने कहा |
शंकर हां मे सर हिला कर चला जाता है , और श्यामली राजकुमार के होश में आने का इंतजार कर रही हैं |
तभी राजकुमार को होश आ जाता है | राजकुमार - मैं कहां हूं? अपने आपको पेड़ से बंधा देखकर उसे रात वाली सब बात याद आ जाती हैं |
अपने सामने उसी लड़की को देखकर राजकुमार अचंभित थे तुम तो वही सुदंरी हो ना जिसे मंत्री भैरव हमारे पास लाये थे | श्यामली - हां मैं वहीं हूं |
राजकुमार - तुम मुझे यहां क्यूं लाई हो |
श्यामली - कैसा लग रहा है राजकुमार शिकारी को खुद शिकार बनके , तुम्हारा सवाल ये होना चाहिए था कि मैं कौन हूं !चलो मैं ही बता देती हूँ | मैं श्यामली ! उसी लड़की की सहेली हूं | जिसके साथ तुमने दरिंगी की और मरने के लिए जंगल में छोड़ दिया |ना जाने कितनों के साथ ये सब किया है तुने |
तुझे तेरी किये की सजा मिलेगी और वैसी ही जैसे तुने सब के साथ किया है |
तुझे भी तो पता चले जब किसी के शरीर को नोचा जाता है
तो कैसा लगता है |
श्यामली किसी को इशारे से बुलाती है - इसके दोनों हाथों को ऊपर कर के बांध दो एक हाथ दाईं तरफ ,दूसरी बाईं तरफ
और इसका कुर्ता ऊतार दो |
तभी श्यामली लोहे की बहुत सारी कीलों को मिलाकर बनाया गया एक भारी गुच्छा | एक विशेष प्रकार का शस्त्र लाती है जिसका नुकिला भाग थोड़ा - थोड़ा मोड़ा गया है | अगर गलती से भी किसी को लग जाये तो उसके शरीर से मांस को निकाले बिना वापस नहीं आती |
राजकुमार के चेहरे पर डर दिखाई दे रहा है |
श्यामली - अरे इतने में ही डर रहे हो अभी तो मैंने इसे दिखाया भर है जब मै इससे तुम्हारे जिस्म से आलिंगन कराऊंगी तो तुम बर्रदाश्त नहीं कर पाओगे |
राजकुमार - मुझे मत मारो ! मैं तो तुमसे प्रेम करता हूं | मैं तुम्हें रानी बनाकर रखूंगा |
सड़ाक !!! गुस्से में श्यामली ने राजकुमार पर वार किया | सड़ाक!!! सड़ाक !!!सड़ाक !!! शयामली तब तक राजकुमार को मारती रही जब तक की वो बेहोश ना हो जाए | बेहोश होने से पहले राजकुमार की जबान से एक ही शब्द निकल रहे थे | तुम मेरी हो श्यामली... और मैं तुम्हें पा कर ही रहूंगा |राजकुमार का पूरा शरीर खून से लथपथ पड़ा था | अब उसमें इतनी शक्ति भी नहीं बची थी की वो अपने पैरों पर खड़ा हो सके |
श्यामली - उठाओ इसे और जंगल के उस हिस्से में ले चलो जहां जंगली जानवरों का बसेरा है | चलो जल्दी करो |
आदिवासी युवक राजकुमार को वहां ले चलते है जहा जंगली जानवरों का बसेरा है | वहां पहुंचकर राजकुमार को जमीन पर लेटाकर , वो आदिवासी युवक और श्यामली एक पेड़ पर बने मचान में चढ़ जाते हैं |और राजकुमार को देख रहे हैं |
कुछ ही समय में शेर के दहाड़ने की आवाज़ सुनाई देती हैं और थोड़ी ही देर में राजकुमार की दर्दनाक आवाज़ पुरे जंगल में गुंजती है|
जंगली जानवरों ने राजकुमार के शरीर को चीर फाड़ कर खा रहे थे | श्यामली के साथ आये युवक ने अपनी आँखें बंद कर ली | लेकिन श्यामली सब देखती रही है | कमला के गुनहागारों को उसके किये की सजा मिल चूकी थी |
थोड़ी ही देर में सुबह हो गई | जंगली जानवर आधे खाये हुए राजकुमार की लाश को छोड़ कर अपनी जगह में चले गए |
अब हमें भी चलना चाहिए ! श्यामली ने साथ आये युवक से कहा |
दोनों अपने कबीले वापस आ जाते हैं | वहां कबीले के मुखिया और श्यामली के पिता बहुत ही परेशान दिखाई दे रहे थे |श्यामली अपने बाबा को परेशान देखकर , अब तक जो कुछ हुआ सब बता देती हैं |
श्यामली के बाबा दंग रह गये ये सब सुनकर ! वो ये सोच रहे थे की किस्मत ने आज साथ दे दिया लिकिन हर बार ऐसा नहीं होता | अगर आज कुछ गलत हो जाता तो मैं क्या करता | नहीं श्यामली को इन सब से दूर रखना होगा और इसका सिर्फ़ एक ही तरीका है | शयामली की शादी !
बाबा क्या सोच रहे हो आप ! शयामली ने पूछा |
शयामली के बाबा - श्यामली आज से दस दिन बाद मैंने तुम्हारी शादी करने का फैसला लिया है , अगर कबीले में कोई तुम्हें पंसद है तो बता दो मैं तुम्हारी शादी उसी से कराऊंगा | अगर तुम्हें कोई पंसद नहीं तो मैं ही कबीले में किसी काबिल युवक को पंसद कर तुम्हारी शादी कराऊंगा |
लेकिन बाबा अचानक से मेरी शादी क्यूं करा रहे हो | ऐसा भी मैंने क्या कर दिया | श्यामली फफक पड़ी |
शयामली के बाबा - बेटी अब तुम्हारी शादी की उम्र हो चूकी है और मैं तुम्हारी शादी करा के अपनी जिम्मेदारी निभाना चाहता हूं | इतना कह कर श्यामली के बाबा वहां से चले गये |
श्यामली अपने आप से ! अगर आपकी यही इच्छा है तो मैं शादी करूंगी बाबा |
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कुछ दिन बाद
पूरे कबीले को सजाया गया है | क्योंकि आज श्यामली की
शादी है , शंकर के साथ |
श्यामली लाल रंग की साड़ी पहन रखी है , पैर में पाजेब और हाथ में रंग बिरंगी चुड़ियाँ | गले में चांदी के सिक्को से बनी हुई हार पहनी है |
बहुत सुंदर लग रही हैं मेरी बेटी ! शयामली के बाबा ने कहा और श्यामली को एक छोटी सी मूर्ति देते हुए कहा - बेटा ये हमारी कुल देवी की मूर्ति है , इसे हमेशा अपने पास रखना माता तुम्हारी रक्षा करेंगी |
जी पिताजी ! शयामली ने कहा | अभी दोनों बात ही कर रहे थे कि |किसी ने आकर कहा - पंडित जी दुल्हन को बुला रहे हैं |
ठीक है ! तुम यहीं शयामली को लेकर आओ मैं बाहर जाता हूँ | कुछ समय बाद जब श्यामली सिर झुकाये बाहर आती है, तो उसे कुछ अजीब लगता है | इतनी शांति कैसे ? और जब वो सिर उठा कर देखती है तो उसके पैरों तले जमीन खिसक जाती हैं |
जैैसे कोई भंयकर तूफान आया हो | कबीले का हर व्यक्ति जमीन पर पड़ा था | बड़े बुजुर्ग , महिलायें , यहां तक की बच्चे भी | श्यामली ये सब देख कर बदहवास सी हो गई थी |
थोड़ी ही दूर में शंकर और उसके बाबा की लाश पड़ी थी |
बाबा.... श्यामली की चीखती हुई अपने बाबा के पास जाकर रोने लगी | तभी आसमान में बारिश शुरू हो गई | श्यामली का ध्यान बारिश की पानी पर गया तो वो चौंक गयी | क्योंकि पानी की जगह खून की बारिश हो रही थी |
तभी किसी के हंसने की आवाज़ आती है | श्यामली उस आवाज़ को सुनकर डर जाती हैं , क्योंकि ये आवाज तो.... राजकुमार.... नहीं ये कैसे हो सकता है उसे तो मैंने मार दिया था |
तभी कुछ सोचते हुए श्यामली तेज आवाज में चिल्ला कर कहती है - अगर तुम राजकुमार की आत्मा हो तो सामने आओ | श्यामली के कहते ही एक साया हवा में उड़ता हुआ दिखाई दिया |
ही... ही... ही... सही जवाब ! तुमने मुझे पहचान लिया | हंसते हुए वो आत्मा कह रही थी |
श्यामली - तुम्हारी दुश्मनी मेरे साथ थी तो मुझे मारते मेरे कबीले वालों को क्यूं मारा ! मेरे बाबा और शंकर को क्यूं मारा | मैंने तुम्हें मारा तो बदला मुझसे लेते इन बेकसूर लोगों को क्यूं मारा | श्यामली रोते हुए कह रही थी |
अचानक एक भयानक चेहरा उसके सामने आया | इन्ही लोगों के साथ मिलकर तुने मुझे मारा था ना देख मैंने इन सबको मार दिया और अब मैं तुझे अपने साथ ले जाउंगा और तेरी आत्मा को गुलाम बना कर रखूंगा | जैसे ही राजकुमार की आत्मा श्यामली को छुने की कोशिश करती है | उसे एक जोर का झटका लगता है और वो दूर चला जाता है |
श्यामली को याद आता है कि उसके बाबा ने जो कुल देवी की मुर्ति उसे दी थी | श्यामली ने माता की मुर्ति को अपने साड़ी के पल्लू से बांध कर रखा है | जिसकी वजह से वो आत्मा श्यामली को छू नहीं पाई |
फेंक उसे.... राजकुमार की आत्मा ने चीखते हुए कहा |
श्यामली तक उठ कर मंदिर की तरफ भागने लगती है | तभी उसके कान में किसी के फुसफुसाने की आवाज़ आती है | तुम मेरी हो श्यामली.... श्यामली दौड़ती हुई मंदिर की सीमा में प्रवेश कर जाती हैं और कहती तुम मुझे कभी नहीं पा सकते ना इस जन्म में और ना किसी भी जन्म में और मंदिर के पास ही की तालाब में छलांग लगा देती है..... नहीं....और सोनाली सपने से बाहर आ जाती है |
क्रमशः
Abhinav ji
04-Sep-2022 08:00 AM
Nice
Reply
Teena yadav
03-Aug-2022 08:51 PM
Very nice
Reply
Haaya meer
03-Aug-2022 07:48 PM
Nice
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